एक विज्ञान है शरीर का जिसे जीवशास्त्र कहते है। एक विज्ञान है मन का जिसे मानशास्त्र कहा जाता है। और एक विज्ञान है आत्मा का जिसका अबतक कोई विज्ञान वैश्विक स्थरपर अबतक निर्मित हुवा नही है।
मनुष्य स्वतंत्र है चाहे तो आत्मा को स्वीकार करे या चाहे तो इन्कार करे। क्योंकि विज्ञान प्रमाण की भाषा मे सोचता है। जबतलक किसी प्रयोग से कोई बात सिद्ध नहीं हो जाए विज्ञान उस बात को स्वीकार नही कर सकता।
आत्मकला वो भुमी है जिसमे उस विज्ञान के बीज बोए जा रहे है। वर्तमान क्षण में यह बात आसानी से समझ में नही आएगी। आत्मकला आत्मा को जानने की कला है। जैसे तुम चित्रकला सीखते हो। जैसे नृत्य कला सीखते हो वैसे ही आत्मकला में आत्मा को जानने की कला को विकसीत करने का प्रयास है।
यहाँ आत्म का मतलब है जीवन और आत्मकला जीवन जीने की कला को सरलता से आत्मसात करने में सहयोग देता है। जीवन तुम्हे मुफ्त में मिला है। तुम्हारा व्यक्तिगत योगदान जीवन के लिए कुछ भी नही है। तुम किस दुनिया से आये हो तुम्हे पता नही है। औऱ किस दुनिया मे लौट कर जाना है उसका पता नही। और दूसरा कोई जीवन होता भी है या नही इसका भी पता नही। मगर जिस जीवन को तुम जी रहे हो उसका तो पता है। उसको और सुंदर बनाने के लिए और जीवन का समग्रता से आस्वाद लेने के लिए जो मार्ग है वो है आत्मकला।
जीवन मे कभी सुख होगा कभो दुःख होगा। आत्मकला वो कला है जो जीवन के कोसी भी अनुभव को चाहे वो सकारात्मक हो विधायक हो, या नकारात्मक हो, उस अनुभव को स्वीकार करके हर अनुभव से स्वयं को समृद्ध करके जीवन को निखारने के लिए मदतगार साबित होती है।
आत्मकला निराशा को भी आशा में बदलकर जीवन के विधायक पैलू की तरफ इशारा करती है। आत्मकला किसी धर्म और किसी संप्रदाय का हिस्सा नहीं है। और ना यहाँ तुम्हे किसी श्रद्धा, विश्वास, भरोसा, या ईश्वर को मानने के लिए मजबूर किया जाता है। आत्मकला वो कला है जो तुम्हे स्वंय श्रद्धा का मंत्र देती है।
आत्मकला किसी परंपरा का हिस्सा नहीं ना ही आत्मकला किसी नई परंपरा को निर्मित करने का प्रयास है। आत्मकला न अतित न भविष्य बल्कि वर्तमान क्षण का सन्मान करती है।
आत्मकला किसी धर्म की मान्यताओं को स्वीकार या इनकार करने के लिए बाध्य नही करती धर्म जीने की कला है। इसलिए यह कला सभी के लिए है । जिन्हें अस्तित्व ने मनुष्य जन्म दिया है। या सौभाग्यवश मिला है उन सभी के लिए फिर वे किसी भी धर्म से संबंधित हो। किसीभी संप्रदाय से जुड़ा हो।किसी भी जाती का हो, सबसे पहले वो मनुष्य है। और जीवन की संपदा का हाकदार है। इसलिए जीवन को और अधिक सुंदरतम बनाने के लिए किसी के भी सरल प्रामाणिक प्रयास का आत्मकला सरहाना करती है।
जीवन के हर नकारात्मकता जो विधायक रंग में ढालने का प्रयास आत्मकला है। कोई मार्ग बनाकर उस मार्ग पर चलने के लिए आत्मकला का कोई जोर नहीं है। आत्मकला हर व्यक्ती को अपना स्वंय का मार्ग खुद बनाकर उसपर चलने का साहस प्रदान करती है।
हर व्यक्ती स्वंय अपने भीतर अपने विवेक से जीने के लिए स्वतंत्र है। हर व्यक्ती की निजी स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है। आत्मकला तुम्हे किसी विचार को स्वीकार करने की ज़बरदस्ती नही करता। तुम अपने मर्जी से आत्मकला से जुड़ सकते हो अपने मर्जी से आत्मकला को छोड़कर जा सकते हो। यहाँ आने वालों का स्वागत है। औऱ जानेवालों के लिए कोई रोकटोक नही है।
आत्मकला जीवन का सन्मान है। आत्मकला स्वयं पर श्रद्धा है। आत्मकला दुःख को सुख में रूपांतरित करने का मार्ग है। आत्मकला जीवन को सरल,सहज, सूखकर, और समृद्ध करने का द्वार है। आत्मकला मृत्यु में छिपे जीवन को देखने की दृष्टि है। आत्मकला दृश्य में लुप्त अदृश्य को देखने की नजर है। आत्मकला प्रकाश की प्रतीक्षा नही बल्कि अंधकार को प्रकाश में परिवर्तित करने का विज्ञान है। आत्मकला मुश्किलों में मुस्कुराने का साधन है। आत्मकला मुसीबतों को सफलता के लिए सीढ़ी बनाने की कला है। आत्मकला कमजोर को बलवान बनाने की ताकद है। आत्मकला ब्रम्हांड की शक्ती को अपनी शक्ती बनाने का हुनर है। आत्मकला जीवन को और किसी महाजीवन से जोड़ने का सेतु है। आत्मकला दालन न नया है न पुराना यह शास्वत है। जबतक अस्तित्व में जीवन है आत्मकला कायम रहेगी क्योंकि आत्मकला कुछ और नही आत्मकला स्वंय ही एक जीवन है।
प्रेम और शुभेच्छा के साथ
मैत्रय
आत्मकला विज्ञान ध्यान केंद्र

एक विज्ञान है शरीर का जिसे जीवशास्त्र कहते है। एक विज्ञान है मन का जिसे मानशास्त्र कहा जाता है। और एक विज्ञान है आत्मा का जिसका अबतक कोई विज्ञान वैश्विक स्थरपर अबतक निर्मित हुवा नही है।
मनुष्य स्वतंत्र है चाहे तो आत्मा को स्वीकार करे या चाहे तो इन्कार करे। क्योंकि विज्ञान प्रमाण की भाषा मे सोचता है। जबतलक किसी प्रयोग से कोई बात सिद्ध नहीं हो जाए विज्ञान उस बात को स्वीकार नही कर सकता।
आत्मकला वो भुमी है जिसमे उस विज्ञान के बीज बोए जा रहे है। वर्तमान क्षण में यह बात आसानी से समझ में नही आएगी। आत्मकला आत्मा को जानने की कला है। जैसे तुम चित्रकला सीखते हो। जैसे नृत्य कला सीखते हो वैसे ही आत्मकला में आत्मा को जानने की कला को विकसीत करने का प्रयास है।
यहाँ आत्म का मतलब है जीवन और आत्मकला जीवन जीने की कला को सरलता से आत्मसात करने में सहयोग देता है। जीवन तुम्हे मुफ्त में मिला है। तुम्हारा व्यक्तिगत योगदान जीवन के लिए कुछ भी नही है। तुम किस दुनिया से आये हो तुम्हे पता नही है। औऱ किस दुनिया मे लौट कर जाना है उसका पता नही। और दूसरा कोई जीवन होता भी है या नही इसका भी पता नही। मगर जिस जीवन को तुम जी रहे हो उसका तो पता है। उसको और सुंदर बनाने के लिए और जीवन का समग्रता से आस्वाद लेने के लिए जो मार्ग है वो है आत्मकला।
जीवन मे कभी सुख होगा कभो दुःख होगा। आत्मकला वो कला है जो जीवन के कोसी भी अनुभव को चाहे वो सकारात्मक हो विधायक हो, या नकारात्मक हो, उस अनुभव को स्वीकार करके हर अनुभव से स्वयं को समृद्ध करके जीवन को निखारने के लिए मदतगार साबित होती है।
आत्मकला निराशा को भी आशा में बदलकर जीवन के विधायक पैलू की तरफ इशारा करती है। आत्मकला किसी धर्म और किसी संप्रदाय का हिस्सा नहीं है। और ना यहाँ तुम्हे किसी श्रद्धा, विश्वास, भरोसा, या ईश्वर को मानने के लिए मजबूर किया जाता है। आत्मकला वो कला है जो तुम्हे स्वंय श्रद्धा का मंत्र देती है।
आत्मकला किसी परंपरा का हिस्सा नहीं ना ही आत्मकला किसी नई परंपरा को निर्मित करने का प्रयास है। आत्मकला न अतित न भविष्य बल्कि वर्तमान क्षण का सन्मान करती है।
आत्मकला किसी धर्म की मान्यताओं को स्वीकार या इनकार करने के लिए बाध्य नही करती धर्म जीने की कला है। इसलिए यह कला सभी के लिए है । जिन्हें अस्तित्व ने मनुष्य जन्म दिया है। या सौभाग्यवश मिला है उन सभी के लिए फिर वे किसी भी धर्म से संबंधित हो। किसीभी संप्रदाय से जुड़ा हो।किसी भी जाती का हो, सबसे पहले वो मनुष्य है। और जीवन की संपदा का हाकदार है। इसलिए जीवन को और अधिक सुंदरतम बनाने के लिए किसी के भी सरल प्रामाणिक प्रयास का आत्मकला सरहाना करती है।
जीवन के हर नकारात्मकता जो विधायक रंग में ढालने का प्रयास आत्मकला है। कोई मार्ग बनाकर उस मार्ग पर चलने के लिए आत्मकला का कोई जोर नहीं है। आत्मकला हर व्यक्ती को अपना स्वंय का मार्ग खुद बनाकर उसपर चलने का साहस प्रदान करती है।
हर व्यक्ती स्वंय अपने भीतर अपने विवेक से जीने के लिए स्वतंत्र है। हर व्यक्ती की निजी स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है। आत्मकला तुम्हे किसी विचार को स्वीकार करने की ज़बरदस्ती नही करता। तुम अपने मर्जी से आत्मकला से जुड़ सकते हो अपने मर्जी से आत्मकला को छोड़कर जा सकते हो। यहाँ आने वालों का स्वागत है। औऱ जानेवालों के लिए कोई रोकटोक नही है।
आत्मकला जीवन का सन्मान है। आत्मकला स्वयं पर श्रद्धा है। आत्मकला दुःख को सुख में रूपांतरित करने का मार्ग है। आत्मकला जीवन को सरल,सहज, सूखकर, और समृद्ध करने का द्वार है। आत्मकला मृत्यु में छिपे जीवन को देखने की दृष्टि है। आत्मकला दृश्य में लुप्त अदृश्य को देखने की नजर है। आत्मकला प्रकाश की प्रतीक्षा नही बल्कि अंधकार को प्रकाश में परिवर्तित करने का विज्ञान है। आत्मकला मुश्किलों में मुस्कुराने का साधन है। आत्मकला मुसीबतों को सफलता के लिए सीढ़ी बनाने की कला है। आत्मकला कमजोर को बलवान बनाने की ताकद है। आत्मकला ब्रम्हांड की शक्ती को अपनी शक्ती बनाने का हुनर है। आत्मकला जीवन को और किसी महाजीवन से जोड़ने का सेतु है। आत्मकला दालन न नया है न पुराना यह शास्वत है। जबतक अस्तित्व में जीवन है आत्मकला कायम रहेगी क्योंकि आत्मकला कुछ और नही आत्मकला स्वंय ही एक जीवन है।
प्रेम और शुभेच्छा के साथ
मैत्रय
आत्मकला विज्ञान ध्यान केंद्र
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